“तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं, तो दर्द को छुपा कर हँसने की कोशिश करता हूँ। खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन? किसी की साँसों में समाकर उसे तन्हा नहीं करते। और मैं https://youtu.be/Lug0ffByUck